उत्तर
प्रदेश का सम्पन्न मुसलमान समाजवादी और बहुजन समाज पार्टी की गाली और जूठन
खा लेगा लात खा लेगा लेकिन साहेब कम्यूनिस्ट पार्टी के साथ काम नहीं करेगा
क्यों भाई? कम्युनिस्टो ने इनकी कौनसी भैंस बाँध ली?
- Dinesh Reghunath R, Emran Rizvi, Asharaf Pookkom and 27 others like this.
- Ranjeet Kumar हिंदुस्तानी कम्युनिस्टों जिनको अपनी बुद्धि और नेतृत्व का झूठा गुमान है, ने ऐसा किया क्या है जिसके लिए हिंदुस्तानी अवाम (सिर्फ मुस्लिम ही क्यूँ , महिलाओँ , दलितों और तमाम दबे कुचले तबकों ) को इन पे भरोसा हो , कम्युनिस्ट पार्टी के रहनुमा का कोई ठौर ठिकाना नहीं, कल किससे हाथ मिला लेंगे और किसको अपना प्रधानमंत्री घोषित कर देंगे ! अवाम को ये लोग बताएं कि इनके किस काम काम से भरोसे की बू आती है जिसको सूंघने के लिए मुसलमान अपनी नाक खोले. भरोसा पैदा करना होगा अवाम में कि कम्युनिस्ट उनके लिए काम करते हैं , और इस काम में बहुत समय लगेगा , ५ साल , १० साल या शायद उससे भी बहुत ज्यादा। वामपंथी राजनीति की बहुत गुंजाइश और जरुरत है इस देश को लेकिन आज की कमम्युनिस्ट पार्टियों के पास उतना मज़बूत कन्धा नहीं है जिसपे ये
जिम्मेदारियों का ये बोझ डाला जा सके ! *** - Afeef Siddiqui कम्युनिस्टों के शासन में बंगाल ,त्रिपुरा केरला ने तरक़्क़ी की. खासतौर से बंगाल सरकार का आपरेशन "बरगा" तो भाई लोगो को याद होगा , जिसने देहात -कसबे के लोगो को ज़मीन का हिस्सेदार बनाया , जो गरीब लोगो को मुख्यधारा में लेन का सबब बना , इन कम्युनिस्टों के शासन में मुसलमानो-सिक्खो - ईसाइयो -आदिवासी क़त्ल नहीं हुय, इन्ही कम्युनिस्टों ने बराबरी की बात की ,सभी को एक साथ चलने का ईमानदार मौका दिया ,जो नही चलने को तैयार उसके लिय क्या कहा जा सकता है...... हाँ एक बात और साले कम्युनिस्ट बहुत "ईमानदार" होते हैं ,इन्हे भी भाजपाइयों , कोंग्रेसियों की तरह बेईमान होना चाहिए ,इनमे लालू-मुलयम -जयललिता-चौटाला -मायावती-सुखराम- बंगारू- मारन- महतो- क़ाज़ी-पासवान जैसे भी होना चाहिय तब कम्युनिस्टों में सुगंध आयगी........
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कम्युनिस्ट बहुत "ईमानदार" होते हैं:
इसमें कोई शक नहीं कि आम कम्युनिस्ट बहुत ईमानदार होते हैं । लेकिन उत्तर प्रदेश में जो लोग निर्णायक नेतृत्व में हैं उनमें से कुछ ने जनता में दोहरे आचरण की छाप छोड़ रखी है और वे लोग ईमानदार लोगों को परिदृश्य से धकेल देते हैं। जनता की निगाह से कुछ भी छिपा हुआ नहीं रहता है। इसलिए ऐसे लोगों की छटनी की जानी चाहिए जिससे जनता की हमदर्दी हासिल की जा सके।
पश्चिम बंगाल में माकपा की स्थिति एक मार्क्स वादी पार्टी की नही बल्कि 'बंगाली पार्टी' की छवी जनता के दिमाग में थी। उस दौरान भी 'दुर्गा पूजा' आदि ढोङ्गोत्सव उसी प्रकार होते रहे थे जैसे पहले होते थे।
जिम्मेदारियों का ये बोझ डाला जा सके ! ***
वह शख्स हैं कामरेड अतुल अंजान साहब :
अवाम की आवाज़ और चेहरा :लखनऊ की शान और उत्तर प्रदेश का सितारा - अतुल अनजान
http://communistvijai.blogspot.in/2013/12/blog-post_24.html
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Comment on Facebook :02-12-2014
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--- विजय राजबली माथुर
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