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https://www.facebook.com/virvinod.chhabra/posts/1685574755009480?pnref=story
(यह वीर विनोद भाई साहब का स्नेह हो सकता है जो उन्होने मेरे नाम के पूर्व डॉ लिख दिया है। हालांकि मैंने उनसे तो अपने 'आयुर्वेदरत्न' होने व वैद्य के रूप में भी रजिस्टर्ड होने तक का ज़िक्र नहीं किया है। --- विजय राजबली माथुर )
क़लम के मज़दूर हैं मुद्रा राक्षस। :
-वीर विनोद छाबड़ा
आज यूपी बैंक इम्प्लॉईज़ यूनियन ने आल इंडिया बैंक इम्प्लॉईज़ यूनियन के प्रेरणा स्त्रोत कामरेड प्रभात कार की १०६वीं जन्मतिथि के अवसर पर स्मृति जन-सम्मान समारोह २०१५ आयोजित किया।
इस अवसर पर जनपक्षधर लेखक मुद्राराक्षस जी को सम्मानित किया जाना था। परंतु दुर्भाग्यवश समारोह शुरू होने से ठीक पहले मुद्राजी अस्वस्थ हो गए। उन्हें कार में ही सम्मानित करके तुरंत अस्पताल में भर्ती करा दिया गया।
मुद्राजी की अस्वस्था के दृष्टिगत कार्यक्रम को संक्षिप्त करते हुए अध्यक्ष सुभाष बाजपाई ने कहा कि बैंक यूनियन का यह सौभाग्य है कि एक चिंतक के जन्मदिन के अवसर पर मुद्राजी चिंतक, ट्रेड यूनियन लीडर और बहुआयामी जनपक्षधर लेखक को सम्मानित किया गया है।
मुद्राजी के साथ विगत लंबे समय से जुड़े दूरदर्शन के पूर्व निदेशक और सुप्रसिद्ध रंगकर्मी विलायत जाफ़री ने बताया कि १९४७ में जब पार्टीशन हुआ तो हालात बहुत ख़राब थे। मज़हब को आधार बनाते हुए बच्ची का एडमिशन नहीं हो पा रहा था। ऐसे आड़े वक़्त में मुद्राजी बहुत काम आये। वो क्रांतिकारी थे ,शायद ही कोई रहा हो जिनसे उनका झगड़ा न हुआ हो। लेकिन मुझसे कभी नहीं हुआ। जब मैं लखनऊ आया तो उनसे बहुत मुलाक़ातें हुई। दूरदर्शन के लिए बहुत काम किया उन्होंने। जब आंदोलन में कहीं जाते तो मुझे एक पर्ची पकड़ा देते - मेरे परिवार का ख्याल रखना। अच्छा इंसान ही अच्छा लेखक होता है। आज मुद्राजी को सम्मानित करके बहुत ख़ुशी हुई।
मुद्राजी से पिछले लगभग चालीस वर्षों से जुड़े सुप्रसिद्ध समालोचक वीरेंद्र यादव को आपातकाल का वो दौर आया जब उत्पीड़ित होकर मुद्राजी लखनऊ आये थे। वो मेरे जैसे लेखकों के निर्माण का दौर था। मुद्रा जी को अपने बीच पाना बड़ी उपलब्धि थी। उनकी आत्मीय प्रवृति ने पीढ़ियों का अंतर मिटा दिया। शायद ही कोई दिन गुज़रता हो जब उनसे भेंट न होती हो। आपातकाल को लेकर उन्होंने एक उपन्यास लिखा -शांतिभंग। अन्याय और चिंतन के हर मौके पर वो हस्तक्षेप वाली स्थिति में मिले। प्रतिरोध में रहे सदैव। इसी कारण बहुत नुकसान और कष्ट में रहे। वो क़लम के मज़दूर थे। रोज़ कुआं खोदो और पानी पियो वाली स्थिति रही उनकी।
यूपी बिजली कर्मचारी संघ के अध्यक्ष कामरेड सदरूदीन राणा बैंक इम्प्लॉईज़ यूनियन को बधाई देते हुए कहा आज मुल्क में सांस्कृतिक और साहित्यिक हालात बहुत खराब हैं। ऐसे में मुद्राजी को सम्मानित करके बैंक यूनियन ने बहुत दिलेरी का काम किया है। एक शेर है - मौत से बचने की एक तरकीब है, लोगों के ज़हन में ज़िंदा रहो।
वरिष्ठ कहानीकार शकील सिद्दीकी ने मुद्राजी के साथ बिताये पलों को याद किया। जब-जब मुद्राजी लखनऊ आये तो मैं ट्रेड यूनियन और प्रगतिशील लेखक संघ से जुड़ा था। जल्द ही मुद्राजी से भी जुड़ गया। मुद्राजी ने हर क्षेत्र में जितने साहसिक क़दम उठाये, उतने किसी ने नहीं। उनमें प्रतिरोध की ज्वाला कभी कम नहीं हुई। उन्होंने ज़ुल्मों की मुख़ालफ़त की, रहनुमाई की, धरने दिए। ज़िस ऊर्जा और आदर्शों को लेकर वो दिल्ली से लखनऊ आये थे उससे सभी को बहुत फ़ायदा हुआ।
कार्यक्रम का संचालन बैंक यूनियन के मंत्री डॉ वीके सिंह ने करते हुए कहा कि मुद्राजी ने एक कथा में कहा है बैंक में एक मशीन होगी जिसे चलाने के लिए एक आदमी होगा और रखवाली के लिए एक कुत्ता होगा।
अंत में सभी ने मुद्राजी के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की।
समारोह में जनसंदेश टाइम्स के संपादक सुभाष राय, कौशल किशोर, डॉ विजयबली माथुर आदि अनेक गणमान्य लेखक,साहित्यप्रेमी व चिंतक मौजूद थे।
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१३-१०-२०१५
-वीर विनोद छाबड़ा
आज यूपी बैंक इम्प्लॉईज़ यूनियन ने आल इंडिया बैंक इम्प्लॉईज़ यूनियन के प्रेरणा स्त्रोत कामरेड प्रभात कार की १०६वीं जन्मतिथि के अवसर पर स्मृति जन-सम्मान समारोह २०१५ आयोजित किया।
इस अवसर पर जनपक्षधर लेखक मुद्राराक्षस जी को सम्मानित किया जाना था। परंतु दुर्भाग्यवश समारोह शुरू होने से ठीक पहले मुद्राजी अस्वस्थ हो गए। उन्हें कार में ही सम्मानित करके तुरंत अस्पताल में भर्ती करा दिया गया।
मुद्राजी की अस्वस्था के दृष्टिगत कार्यक्रम को संक्षिप्त करते हुए अध्यक्ष सुभाष बाजपाई ने कहा कि बैंक यूनियन का यह सौभाग्य है कि एक चिंतक के जन्मदिन के अवसर पर मुद्राजी चिंतक, ट्रेड यूनियन लीडर और बहुआयामी जनपक्षधर लेखक को सम्मानित किया गया है।
मुद्राजी के साथ विगत लंबे समय से जुड़े दूरदर्शन के पूर्व निदेशक और सुप्रसिद्ध रंगकर्मी विलायत जाफ़री ने बताया कि १९४७ में जब पार्टीशन हुआ तो हालात बहुत ख़राब थे। मज़हब को आधार बनाते हुए बच्ची का एडमिशन नहीं हो पा रहा था। ऐसे आड़े वक़्त में मुद्राजी बहुत काम आये। वो क्रांतिकारी थे ,शायद ही कोई रहा हो जिनसे उनका झगड़ा न हुआ हो। लेकिन मुझसे कभी नहीं हुआ। जब मैं लखनऊ आया तो उनसे बहुत मुलाक़ातें हुई। दूरदर्शन के लिए बहुत काम किया उन्होंने। जब आंदोलन में कहीं जाते तो मुझे एक पर्ची पकड़ा देते - मेरे परिवार का ख्याल रखना। अच्छा इंसान ही अच्छा लेखक होता है। आज मुद्राजी को सम्मानित करके बहुत ख़ुशी हुई।
मुद्राजी से पिछले लगभग चालीस वर्षों से जुड़े सुप्रसिद्ध समालोचक वीरेंद्र यादव को आपातकाल का वो दौर आया जब उत्पीड़ित होकर मुद्राजी लखनऊ आये थे। वो मेरे जैसे लेखकों के निर्माण का दौर था। मुद्रा जी को अपने बीच पाना बड़ी उपलब्धि थी। उनकी आत्मीय प्रवृति ने पीढ़ियों का अंतर मिटा दिया। शायद ही कोई दिन गुज़रता हो जब उनसे भेंट न होती हो। आपातकाल को लेकर उन्होंने एक उपन्यास लिखा -शांतिभंग। अन्याय और चिंतन के हर मौके पर वो हस्तक्षेप वाली स्थिति में मिले। प्रतिरोध में रहे सदैव। इसी कारण बहुत नुकसान और कष्ट में रहे। वो क़लम के मज़दूर थे। रोज़ कुआं खोदो और पानी पियो वाली स्थिति रही उनकी।
यूपी बिजली कर्मचारी संघ के अध्यक्ष कामरेड सदरूदीन राणा बैंक इम्प्लॉईज़ यूनियन को बधाई देते हुए कहा आज मुल्क में सांस्कृतिक और साहित्यिक हालात बहुत खराब हैं। ऐसे में मुद्राजी को सम्मानित करके बैंक यूनियन ने बहुत दिलेरी का काम किया है। एक शेर है - मौत से बचने की एक तरकीब है, लोगों के ज़हन में ज़िंदा रहो।
वरिष्ठ कहानीकार शकील सिद्दीकी ने मुद्राजी के साथ बिताये पलों को याद किया। जब-जब मुद्राजी लखनऊ आये तो मैं ट्रेड यूनियन और प्रगतिशील लेखक संघ से जुड़ा था। जल्द ही मुद्राजी से भी जुड़ गया। मुद्राजी ने हर क्षेत्र में जितने साहसिक क़दम उठाये, उतने किसी ने नहीं। उनमें प्रतिरोध की ज्वाला कभी कम नहीं हुई। उन्होंने ज़ुल्मों की मुख़ालफ़त की, रहनुमाई की, धरने दिए। ज़िस ऊर्जा और आदर्शों को लेकर वो दिल्ली से लखनऊ आये थे उससे सभी को बहुत फ़ायदा हुआ।
कार्यक्रम का संचालन बैंक यूनियन के मंत्री डॉ वीके सिंह ने करते हुए कहा कि मुद्राजी ने एक कथा में कहा है बैंक में एक मशीन होगी जिसे चलाने के लिए एक आदमी होगा और रखवाली के लिए एक कुत्ता होगा।
अंत में सभी ने मुद्राजी के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की।
समारोह में जनसंदेश टाइम्स के संपादक सुभाष राय, कौशल किशोर, डॉ विजयबली माथुर आदि अनेक गणमान्य लेखक,साहित्यप्रेमी व चिंतक मौजूद थे।
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१३-१०-२०१५
https://www.facebook.com/virvinod.chhabra/posts/1685574755009480?pnref=story
(यह वीर विनोद भाई साहब का स्नेह हो सकता है जो उन्होने मेरे नाम के पूर्व डॉ लिख दिया है। हालांकि मैंने उनसे तो अपने 'आयुर्वेदरत्न' होने व वैद्य के रूप में भी रजिस्टर्ड होने तक का ज़िक्र नहीं किया है। --- विजय राजबली माथुर )
बढ़िया प्रेरक प्रस्तुति
ReplyDeleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 15 - 10 - 2015 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2130 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
कलम के इस सिपाही को मेरा सलाम। मुझे एक बार अपने शहर में मुद्रा राक्षस जी से मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। उनका व्यक्त्तिव और लेखन दोनों ही लाजवाब है।
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