Saturday, 28 May 2016

जहाँ डाल डाल पर सोने की चिड़ियाँ करतीं थीं बसेरा ..... वहीं दाल दाल के दाने को तरसे है भाई मेरा ------ अतुल कुमार सिंह 'अंजान '



"अखंड आत्म भाव जो असीम विश्व में भरे,
वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।"
                                  (मैथिलीशरण गुप्त )

कामरेड अतुल अनजान लखनऊ विश्वविद्यालय छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष और AISF के भी पूर्व अध्यक्ष तो हैं ही। वर्तमान में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के 'राष्ट्रीय सचिव' तथा AIKS-अखिल भारतीय किसानसभा के 'राष्ट्रीय महामंत्री हैं'।  न केवल अपनी ओजस्वी वाक-शैली वरन जनता के मर्म को समझने वाले एक जन-प्रिय नेता के रूप में भी जाने जाते हैं। http://communistvijai.blogspot.in/2014/11/blog-post_29.html

 वह केवल जागरूक राजनीतिज्ञ ही नहीं हैं वरन कोमल हृदय कवि भी हैं। एक साक्षात्कार में उन्होने खुद ही स्पष्ट किया था कि, बचपन में कविता लिखते समय उपनाम - तख्खलुस के रूप में ' अंजान ' नाम के अंत में लगाया था जिसे पत्रकारों ने अतुल कुमार सिंह 'अंजान ' के स्थान पर मात्र अतुल अंजान लिखना शुरू कर दिया और अब यही नाम जन मानस में प्रचलित हो गया है। 

किसानों के संघर्ष में भाग लेते लेते उनकी समस्याओं ने उनके हृदय को झिंझोड़ डाला है और बरबस ही उनके मुख से कुछ पद या शेर निकल पड़ते हैं जिनमें उनकी वेदना के गूढ अर्थ छिपे होते हैं। ऐसे ही कुछ चंद शेर प्रस्तुत हैं जिनसे किसान और साधारण जनता के आज के हालात पर प्रकाश पड़ता है। 

 जहाँ डाल डाल पर सोने की चिड़ियाँ करतीं थीं बसेरा । 
    वहीं दाल दाल के   दाने को   तरसे है     भाई मेरा । । 
Atulanjan
2016/05/28 09:22


JAHAAN DAAL DAAL PAR SONE KI CHIDIYAAN KARTI THI BASERA. . . . . WAHEEN DAAL DAAL KE DAANE KO TARSE HAI BHAI MERA. .........ATUL  KUMAR  ANJAAN 
दो पंक्ति के इस पद के माध्यम से अंजान साहब ने भारत के प्राचीन इतिहास के संदर्भ से जनता को याद दिलाया है कि, कहाँ तो हमारा देश इतना समृद्ध था कि उसके बारे में कहा गया था कि 'जहां डाल डाल पर सोने की चिड़ियाँ करती हैं बसेरा वह भारत देश है मेरा '। और कहाँ आज क्या स्थिति है? सबसे निखद और गरीबों की मानी जाने वाली अरहर की  दाल के दाम रु 200 /- तक पहुँच गए हैं और उसके दाने दाने को सब तरस रहे हैं। दालें भारत में 'प्रोटीन ' का मुख्य आधार हैं और प्रोटीन को 'मांस निर्माता द्रव्य ' FLASH FARMING SUBSTANSE कहा जाता है। दालों के आभाव में साधारण भारतीय जन कुपोषण का शिकार हो रहा है और सरकार 'विकास ' का ढ़ोल पीट रही है। अंजान साहब याद दिला रहे हैं यह देश को कमजोर और खोखला बनाने की साजिश है। 


**Atulanjan
2016/05/28 09:34
फ़लक ज़मीन को नया आफताब देता है ।
 तो उसके साथ कई इंकलाब देता है।। 
 तपिश ज़मीन को आफताब देता है ।
 वह शोला बदले में हम को गुलाब देता है।। 
 ये पेड़ अहले सियासत का है लगाया हुआ।
 ये नफ़रतों का समर बे हेसाब  देता है। । 


JARA  GAUR KIJIYE .......

Falak zamin Ko nayaAftab deta hai. To uske saath kaee inqalab deta hai. tapish zamin KoAftab deta hai.woh shola badle me ham Ko Gulab detahai. Ye ped ahle seyasat ka hai lagaya Hua. Ye nafraton ka Samar behesaab deta hai..... ATUL  KUMAR  ANJAAN


*** ज़मीन जल चुकी है,आसमान बाकी है ।
      वो जो खेतों की मेड़ों पर उदास बैठे हैं। 
      उनही की आँखों में अब तक ईमान बाकी है। 
      बादलों अब तो बरस जाओ, सूखी ज़मीन पर । 
      किसी का मकान गिरवी है और किसी का लगान बाकी है। ।   
Atulanjan
2016/05/28 09:36

Zameen jalchuki hai ,aasman baqi hai .vo jo kheton ki medon par udas baithe hain .unhi, ki aankhon me abtak iman baqihai .badlon ab to baras jao ,sukhi zameenon par .Kisi ka makan girvi hai aur kisi ka Lagan baki hai ..........       ATUL  KUMAR  ANJAAN

****Atulanjan
2016/05/28 09:38
  वह भीड मे हमेशा हँसता रहता है । 
  वह दिल की बात औरोँ से नहीँ कहता है। । 
  अगर मिले तो मेरा सलाम कह देना। 
  वह मुस्कान हथेलियोँ मेँ छिपा लेना । ।   ...........   ATUL  KUMAR  ANJAAN

बिलकुल साफ है कि, दिल की गहराइयों से निकली बात कितनी सटीक तथा सामयिक है अंजान साहब का कवि हृदय जानता है कि, खेतों की मेड़ों पर उदास बैठा किसान ही आज 'ईमान ' का प्रतीक है बाकी इस बाजारवाद में यत्र-तत्र -सर्वत्र छल - छद्यम का बोलबाला है। ऐसे में शोले के बदले 'गुलाब' देने वाले हाथों के इंकलाबी बनने का इंतज़ार करते हुये शासक वर्ग प्रतीत होता है। 

अंजान साहब साधारण इंसान की मुस्कराहट को छिपा लेने और उसको 'सलाम' पहुंचाने की बात कह कर जन पर अपना भरोसा जतलाते हैं। उनकी प्रेरणा से उत्तर प्रदेश में अभी विगत 20 मई को किसान जागरण यात्रा सम्पन्न हुई है और प्रदेश सरकार द्वारा किसानों के हितार्थ आश्वासन भी दिये गए हैं , हम कामना करते हैं कि, अंजान साहब और उनके साथियों की मेहनत ज़रूर रंग लाएगी। 
(विजय राजबली माथुर )



Saturday, 21 May 2016

उत्तर प्रदेश विधानसभा पर किसान पंचायत का उद्घोष और सरकार से मिला आश्वासन ------ विजय राजबली माथुर

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***कामरेड अंजान ने पंचायत में आए हुये किसानों को सूचित किया कि जैसा कि , मशहूर शायरा और एक्ट्रेस मीना कुमारी का कहना था :
मसर्रत पे रिवाजों का सख्त पहरा है 
ना जाने कौन सी उम्मीद पर दिल ठहरा है 
तेरी आँखों से छलकते हुये इस गम की कसम 
ये दोस्त दर्द का रिश्ता बहुत गहरा है 

उन्होने भी किसानों के दर्द के साथ गहरा रिश्ता बनाया है और इसीलिए किसानों के लिए किसी भी बड़े से बड़े आंदोलन में भाग लेने के लिए वह सदा तैयार रहते हैं। ***

  लखनऊ,20 मई 2016 :
किसानसभा के स्थापना दिवस 11 अप्रैल 2016 से 'किसान जागरण यात्रा ' का प्रारम्भ संगठन के संस्थापक स्वामी सहजानन्द   सरस्वती जी की जन्मस्थली  गाजीपुर से राजेन्द्र यादव,पूर्व विधायक और महामंत्री उ प्र किसानसभा के नेतृत्व में प्रारम्भ हुआ था जो  35 जिलों का भ्रमण करते हुये लखनऊ के चिनहट क्षेत्र में 19 तारीख को पहुँच गई थी जिसने 20 तारीख को चारबाग रेलवे स्टेशन पहुँच कर विभिन्न जिलों से आए हुये किसान साथियों को साथ लेकर अपने राष्ट्रीय महामंत्री कामरेड अतुल कुमार सिंह 'अंजान ' के नेतृत्व  में एक विशाल मार्च निकाला जो उत्तर प्रदेश विधासभा क्षेत्र के जी पी ओ पार्क में  गांधी प्रतिमा पर धरना - सभा  में परिवर्तित हो गया जिसकी अध्यक्षता प्रदेश अध्यक्ष पूर्व विधायक इम्तियाज़ बेग ने की । प्रारम्भ में चारबाग में इप्टा के कलाकारों ने भी किसानों के उत्साह वर्द्धन हेतु अपनी प्रस्तुति दी। 

सभा में विभिन्न किसान नेताओं ने अपने विचार तथा यात्रा-वृतांत सुनाये। खेत मजदूर सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष , पूर्व सांसद  विश्वनाथ शास्त्री जी  भी सभा को संबोधित करने वाले वालों में प्रमुख थे। उत्तर प्रदेश भाकपा के प्रदेश सचिव गिरीश चंद्र शर्मा  ने अपने  9 और 10 मई के बुंदेलखंड दौरे का विस्तृत वर्णन किया  और खेद जताया कि वह राजेन्द्र यादव के अनुरोध के बावजूद किसान जागरण यात्रा में शामिल नहीं हो पाये।(ज्ञातव्य है कि किसान जागरण यात्रा 11 से 14 मई तक बुंदेलखंड क्षेत्र में आने वाली थी। )  गिरीश जी ने कहा कि वह बीमारी के बावजूद किसानों के साथ पार्टी की एकजुटता  दिखाने के लिए उपस्थित हुये हैं। बुन्देल खंड  समस्या पर आगामी 20 जून को छह पार्टियों की ओर से धरना  देने का  आयोजन कर रहे हैं। मीडिया ने उनके वक्तव्य को चटकारा लेते हुये प्रकाशित किया है। : 

उत्तर प्रदेश किसानसभा के महामंत्री और जागरण यात्रा के संयोजक राजेन्द्र यादव ने अपने उद्बोधन में बताया कि अभी तक सरकार द्वारा दिये आश्वासन के बावजूद बंद चीनी मिलें चालू नहीं हुई हैं, प्रदेश में सड़कों की स्थिति सबसे अधिक दयनीय है,गड्ढा युक्त सड़कों के कारण आए दिन दुर्घटना होती हैं, अनियमित विद्युत कटौती से प्रदेश का किसान ,व्यापारी,छात्र,महिलाएं सभी परेशान हैं। नहरों में टेल तक पानी नहीं पहुँच पाता। इस वर्ष दैवीय आपदा के कारण किसानों की फसल बीमा एवं फसल मुआवजा तो केंद्र और राज्य सरकार द्वारा घोषित धन राशि का लाभ प्रदेश के 70 प्रतिशत किसानों को प्राप्त नहीं हो सका है। इन सब महत्वपूर्ण मांगों को लेकर यह यात्रा 11 अप्रैल 2016 से गाजीपुर से चल कर बुंदेलखंड समेत 35 जिलों का परिभ्रमण करते हुये राजधानी पहुंची है। किसानसभा की दूसरी यात्रा को मथुरा से चल कर यहाँ संयुक्त होना था किन्तु पश्चिमाञ्चल के जिलों ने 7 से 14 दिन की जिलावार यात्राएं वहीं सम्पन्न कर लीं और यहाँ तक  नहीं पहुँच सके। दो माह बाद वह खुद उन जिलों में किसान  जागरण यात्रा निकालने का प्रयास करेंगे। 

राजेन्द्र  जी ने बताया कि उन्होने जाति- धर्म और दलगत राजनीति से ऊपर उठ कर केवल किसानों  के हितार्थ इस यात्रा का संयोजन किया था इसी लिए सपा, बसपा,कांग्रेस और भाजपा के लोग भी उनके मंच से आकर किसान  जागरण यात्रा का समर्थन कर गए थे। कांग्रेस नेता जनार्दन राय तो सभा में भी उपस्थित थे। राजेन्द्र जी ने मुख्यमंत्री व सपाध्यक्ष द्वारा वार्ता के लिए बुलाये जाने के संदर्भ में कहा कि वह किसान हितों के लिए किसी से कोई समझौता नहीं करेंगे और यदि मांगे नहीं मानी गईं तो उग्र आंदोलन चलाया जाएगा। 

किसानसभा के राष्ट्रीय महासचिव कामरेड अतुल अंजान ने अपने वृहद सम्बोधन में  संवाद शैली के माध्यम से किसानों को यह समझाने का अथक प्रयास किया कि वे जाति-धर्म,गोत्र-क्षेत्र,वाद-प्रतिवाद में  न फंस कर एकजुटता बनाएँ अन्यथा उनका जीवन और दुष्कर होता जाएगा। किसानों की आत्म -हत्याओं का ज़िक्र करते हुये उन्होने बताया कि वह खुद भी आंध्र व तेलंगाना में किसान पद-यात्राओं में इसी लिए शामिल हुये कि किसानों को आत्म-हत्या के कदम उठाने से रोका जाये। उन्होने किसानों को आगाह किया कि वे अपनी ज़मीन कतई न बेचें क्योंकि आने वाले समय में यही ज़मीन उनके बच्चों को भूख से बचा सकेगी। बिल्डरों के षडयन्त्रों से सावधान रहने को उन्होने किसानों को जागरूक किया। उन्होने बताया कि मीडिया में टी वी चेनल्स और अखबार के जरिये कैटरीना कैफ व दीपिका पादुकोण के किस्से इसलिए उछलते हैं कि किसान इन सब में व फूट के मामलों में उलझ कर अपनी समस्याओं पर आवाज़ न उठा सके । मीडिया के संबंध में उनकी चेतावनी का नमूना इससे ही स्पष्ट है कि उनके वक्तव्य को काट-छांट कर सिर्फ इस रूप में छापा गया है। :

कामरेड अंजान ने पंचायत में आए हुये किसानों को सूचित किया कि जैसा कि , मशहूर शायरा और एक्ट्रेस मीना कुमारी का कहना था :
मसर्रत पे रिवाजों का सख्त पहरा है 
ना जाने कौन सी उम्मीद पर दिल ठहरा है 
तेरी आँखों से छलकते हुये इस गम की कसम 
ये दोस्त दर्द का रिश्ता बहुत गहरा है 
उन्होने भी किसानों के दर्द के साथ गहरा रिश्ता बनाया है और इसीलिए किसानों के लिए किसी भी बड़े से बड़े आंदोलन में भाग लेने के लिए वह सदा तैयार रहते हैं। उन्होने स्पष्ट कहा कि वह जिस संगठन के राष्ट्रीय महा सचिव पद पर हैं वह स्वामी सहजानन्द सरस्वती जी के वैज्ञानिक समाजवाद के दृष्टिकोण का अनुगामी है। इन्दु लाल याज्ञनिक,महात्मा गांधी और नेताजी सुभाष चंद्र बोस इस किसानसभा के अध्यक्ष रह चुके हैं। बंगाल किसानसभा के अध्यक्ष पद को सुशोभित करने वालों में स्वामी विवेकानंद के बड़े भाई भी शामिल रहे हैं। लखनऊ जिले के ही काकोरी में क्रांतिकारी चंद्रशेखर आज़ाद,रोशन सिंह,आदि नेता सभी किसानों के पुत्र ही तो थे। (यद्यपि कामरेड अंजान ने बताया नहीं किन्तु उन क्रांतिकारियों का साथ देने वालों में तथा बटुकेश्वर दत्त के साथ काला पानी की सजा काटने वालों में उनके पिता श्री अयोध्या सिंह जी भी शामिल थे )। 
कामरेड अंजान ने उपस्थित किसानों के माध्यम से यह भी बताया कि , किसानसभा के केंद्रीय कार्यालय में उन्होने दो लाख  रुपये मूल्य की किताबें संग्रहित करा दी हैं जिंनका लाभ किसानों की आने वाली पीढ़ियाँ  भी उठा सकेंगी। इतनी प्रचंड गर्मी में  किसानों ने अपने हक के समर्थन में जागरण यात्रा में भाग लिया और 46 डिग्री तापमान में लखनऊ में धरने  पर बैठे इसके लिए उनके प्रति कामरेड अंजान ने आभार व्यक्त किया । साथ ही साथ किसान परिवारों के आबाल-वृद्ध सभी को उन्होने धन्यवाद दिया कि अपने परिजनों को उन लोगों ने इस किसान महापंचायत में भाग लेने हेतु भेजा। यात्रा और धरने में शामिल महिलाओं के प्रति उन्होने कृतज्ञता व्यक्त की। उन्होने किसान पंचायत में  यह घोषणा भी की कि जब कभी भी किसानसभा की सरकार बनेगी राजेन्द्र यादव को किसान स्वतन्त्रता आंदोलन का 'स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी' घोषित किया जाएगा। उनका योगदान भुलाया नहीं जा सकता है। 

प्रशासन की ओर से SDM साहब द्वारा किसानसभा का मांग-पत्र ग्रहण किया गया। इसकी प्रमुख मांगें  इस प्रकार हैं :
1. राष्ट्रीय किसान आयोग (स्वामीनाथन आयोग) की संस्तुतियों को केंद्र और राज्य सरकारें तत्काल लागू करें। 
 2. 60 वर्ष के सभी स्त्री-पुरुष किसानों,खेत मजदूरों,ग्रामीण दस्तकारों को 10,000 रु. ( दस हजार रुपया) मासिक पेंशन केंद्र व राज्य सरकारें मिलकर देना सुनिश्चित करें।   
3. किसानों के सहकारी-सरकारी कर्ज़ माफ किये जायें एवं उन्हें रबी-खरीफ पर ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध कराया जाये।   
4. कृषि उत्पादों का लाभकारी मूल्य (लागत पर पचास फीसदी जोड़ कर) दिया जाय।  
 5. भूमि अधिग्रहण अध्यादेश को तत्काल वापस लिया जाय।   
6. केरल राजयकी भांति किसान कर्ज़ एवं आपदा राहत ट्रिब्यूनल की स्थापना की जाय।   
7. खेती किसानी के लिए बिजली की बढ़ी दरों को वापस लिया जाय, साथ ही सस्ती एवं अबाध बिजली 18 घंटे उपलब्ध कराई जाय।  
 8. नहरों की टेल तक वास्तविक सफाई कराकर पानी खेतों में पहुँचने का पुख्ता प्रबंध किया जाय।  
 9. प्रदेश के किसानो के निजी नलकूपों को अन्य राज्यों की तरह मुफ्त बिजली की व्यवस्था की जाय।  
 10. नंदगंज,रसड़ा,छाता,देवरिया,औरैया,शाहगंज चीनी मिलों को चालू किया जाय।  
 11. शिक्षा व चिकित्सा व्यवस्था को सरकार अपने हाथ में ले।  
 12. गन्ने का सामान्य मूल्य 450 रु. किया जाय एवं गन्ने का बकाया भुगतान किया जाय।  
 13. प्रदेश में रबी व खरीफ की फसल बर्बाद होने के बाद केंद्र व प्रदेश की सरकारें क्षतिपूर्ति देने का वादा करें या अब तक लगभग 33%किसान लाभान्वित हुए हैं शेष किसानों को तत्काल क्षतिपूर्ति दी जाय।

सभाध्यक्ष द्वारा उपस्थित किसान समुदाय व स्थानीय जनता को धन्यवाद देने के बाद सभा समापन की घोषणा की गई। 
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(कामरेड अंजान और राजेन्द्र यादव जी के अतिरिक्त अर्चना उपाध्याय जी,जितेंद्र हरि पांडे,बी एन यादव,शिव बचन यादव,उपकार सिंह  कुशवाहा और उनके पिता श्री  भी उन लोगों में शामिल थे जिनसे मैं व्यक्तिगत रूप से भेंट कर सका । ) ------ विजय राजबली माथुर 

कामरेड राजेन्द्र यादव व जितेंद्र हरि पांडे के सौजन्य से प्राप्त रैली के कुछ  और खास  फोटो : 













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फोटो सौजन्य : अर्चना उपाध्याय जी 
22-05-2016 at 21 hrs.



संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त यश   
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21-05-2016 

Wednesday, 18 May 2016

नई सोच और किसानोन्मुखी राजनीति का आह्वान करती किसान जागरण यात्रा लखनऊ में 20 मई को पहुंचेगी

किसान जनजागरण यात्रा बाराबंकी में आ पहुँची है 18मई को  बोलते किसान सभा के नेता अतुल कुमार अंजान

उत्तर-प्रदेश किसान सभा ने पूरे प्रदेश में 11 अप्रैल 2016 से किसान जागरण यात्रा प्रारम्भ की है। यह अभियान नई सोच और किसानोन्मुखी राजनीति पैदा करने का है। किसानों,मजदूरों,दस्तकारों को संगठित कर देश एवं प्रदेश की राजनीति को किसानोन्मुखी बनाने की दिशा में यह सशक्त हस्तक्षेप है ताकि देश की दौलत का मुंसिफ़ाना तस्कीम हो सके और देश बहुराष्ट्रीय कंपनियों,शेयर बाजार के सट्टेबाज खिलाड़ियों,भ्रष्ट राजनेताओं,कुटिल अफसरशाहों-ठेकेदारों के चंगुल से मुक्त हो सके। देश के किसानों के सर्वमान्य नेता,स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी स्वामी सहजानन्द के जन्म स्थल गाजीपुर से यह अभियान शुरू किया गया है जो 20 मई को लखनऊ में विशाल किसान महापंचायत में तब्दील हो जायेगा और इस महापंचायत में उत्तर प्रदेश के सभी प्रभावी किसान संगठनों के नेतृत्व के अतिरिक्त अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव और साथी अतुल कुमार अनजान की उल्लेखनीय उपस्थिति रहेगी।

आइये इस किसान जागरण यात्रा में आप अपना सक्रिय सहयोग और समर्थन दें। आज़ादी के बाद कुटिल राजनीतिक चालाकियों के कारण हाशिये पर डाल दिये गाँव और किसान को संगठित कर इस देश की मुख्य राजीनीतिक और आर्थिक धारा में शामिल करने के इस महाभियान में आप सक्रिय हिस्सेदारी निभाएँ जो आज़ादी के सिपाहियों और शहीदों का एक मात्र सपना रहा है। 

जनता के स्नेह और सहयोग की तलबगार :
उत्तर प्रदेश किसानसभा 
(इम्तियाज़ बेग, प्रदेश अध्यक्ष )  एवं  (राजेन्द्र यादव, प्रदेश महासचिव ) 



किसान जनजागरण यात्रा मझपुरवा बाराबंकी में  18 मई को बोलते उतर प्रदेश किसान सभा के महामंत्री राजेंद्र यादव पुर्व विधायक

https://www.facebook.com/permalink.php?story_fbid=286378001702161&id=100009898902813

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Tuesday, 17 May 2016

बादशाह नगर रेलवे स्टेशन का नाम अजीम शायर मजाज के नाम पर रखा जाय ------ कौशल किशोर

स्पष्ट रूप से पढ़ने के लिए इमेज पर डबल क्लिक करें (आप उसके बाद भी एक बार और क्लिक द्वारा ज़ूम करके पढ़ सकते हैं ) 


जनसंदेश टाईम्स ,17 मई 2016 ,पृष्ठ-5 


फैज की तरह मजाज़ भी इंकलाब व मोहब्बत के शायर
इनकी शायरी से सरमायेदारी से लड़ने की ताकत मिलती है - ताहिरा हसन
लखनऊ, 16 मई। आज जन संस्कृति मंच की ओर उर्दू के अजीम शायर असरारुल हक मजाज़ को याद किया गया। कार्यक्रम था ‘सरमायेदारी के हमलावर दौर में मजाज’ पर सेमिनार। यह जलसा जयशंकर प्रसाद सभागार, कैसरबाग में हुआ। शुरुआत कुलदीप द्वारा मजाज की गजलों के गायन से हुआ।
विषय पर बीज वक्तव्य देते हुए महिला एक्टिविस्ट ताहिरा हसन ने कहा कि मजाज की शायरी में कीट्स, शेली, वायरन की छाप नुमाया तौर पर दिखती है। भगत सिंह की बगावत, नेहरू का सोशलिज्म, माक्र्स की सीख़ और लेनिन की तड़प ये सब मजाज के शऊर और एहसास के हिस्से थे। वे सरमायेदारी के खिलाफ पुरजोर आवाज बुलन्द करते हैं और नौजवानों, मजदूरों, किसानों में अपनी शायरी से इंकलाब पैदा करते हैं। वे कहते हैं ‘इंकलाब के आमद का इंतजार न कर, हो सके तो इंकलाब पैदा कर’। औरतों में बेदारी लेते हुए कहते हैं ‘तेरी मोथे पर आंचल बहुत ही है खूब है, पर तू आंचल से इक परचम बना लेती तो अच्छा’। ताहिरा हसन ने आगे कहा कि मजाज फैज की तरह ही इंकलाब और मोहब्बत के शायर हैं। इनकी शायरी में थकान नहीं, मस्ती है। इसीलिए फाासिज्म के इस दौर में आज भी मौंजू हैं। इनकी शायरी से हमें सरमायेदारी व फासिज्म से लड़ने की ताकत मिलती है।
सेमिनार की सदारत करते हुए कथाकार नसीम साकेती ने कहा कि आज स्त्री विमर्श पर बड़ी चर्चा है। मजाज़ ने उर्दू अदब में बहुत पहले नारी जागरण का शंखनाद कर दिया था और आंचल को परचम बनाने की बात की थी। वे जजबाती नारों से इंकलाब लाने के पक्षधर नहीं थे बल्कि रूमानी अंदाज में इंकलाब को आवाज देते थे। इस मायने में इनकी इंकलाबियत आम इंकलाबी शायरों से मुख्तलिफ है। इस मौके पर प्रो रूपरेखा वर्मा, इरफान अहमद, शेहला रैनम, ऊषा राय, राम किशोर व अजय सिंह आदि ने भी अपने विचार प्रकट किये। इनका कहना था कि मजाज़ की शायरी सरमायेदारी के खिलाफ हथियार थी। समय गुजर गया लेकिन न तो सरमायेदारी खत्म हुई और न उसके खिलाफ जंग। आज तो वह और भी हमलावर है। फासीवाद उसी का सबसे खूंखार रूप है। हिन्दुस्तान के लोकतंत्र में 16 मई का दिन बड़ा मायने रखता है जिस दिन फासीवादी सत्ता केन्द्र में आई। इस दिन को देश का तरक्की पसंद व जनवादी सांस्कृतिक आंदोलन फसीवाद के खिलाफ जंग के दिन के बतौर याद करता है। मजाज से हमें इस जंग में हौसला मिलता है। वक्ताओं का यह भी कहना था कि हमें मजाज़ के जीवन ट्रेजडी और इंकलाब व इश्क के शायर के रूप् में याद करते हुए उनके सौन्दर्य शास्त्र पर और उन्होंने नया क्या दिया, इस पर भी चर्चा होनी चाहिए।
कार्यक्रम के अन्त में जसम के प्रदेश अध्यक्ष की ओर से प्रस्ताव पेश किये गये जिसके तहत मांग की गई कि रिफा-ए-आम क्लब जो साझी संस्कृति की धरोहर है इसका पुनरुद्धार किया जाय तथा इसे साझी संस्कृति की रिवायत को बढ़ाने के संस्थान के रूप में विकसित किया जाय। प्रस्ताव में मीर तकी मीर, हसरत मोहानी व मजाज की मजारों की दुर्दशा पर रोष प्रकट किया गया तथा मांग की गई कि इन मजारों का पुनरुद्धार हो और इन्हें पूरी इज्जत बख्शी जाय। यह भी प्रस्तावित किया गया कि बादशाह नगर रेलवे स्टेशन का नाम बदल कर इसे अजीम शायर मजाज के नाम पर रखा जाय।

कार्यक्रम की सदारत शायर तश्ना आलमी को करना था लेकिन उनके अचानक लकवाग्रस्त हो जाने के कारण वे कार्यक्रम में नहीें पहुंच पाये। सभी ने उनके जल्दी स्वस्थ होने की दुआ की।


https://www.facebook.com/kaushal.kishor.1401/posts/1076917509040203


    संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त यश

Sunday, 15 May 2016

कवि लालटू जी की कविताओं का पाठ व परिचर्चा ------ विजय राजबली माथुर

आज साँय पाँच बजे 'जनसंदेश टाईम्स ' लखनऊ के गोष्ठी कक्ष में पंजाबी व बांग्ला भाषाओं के ज्ञाता वैज्ञानिक शिक्षक व सुप्रसिद्ध कवि 'लालटू ' जी के साथ नगर के प्रबुद्ध नागरिकों की  एक संवाद वार्ता सम्पन्न हुई जिसका कुशल संचालन कौशल किशोर जी ने किया । 
प्रारम्भ में कवि महोदय ने अपनी चुनी हुई कुछ कविताओं का पाठ किया । उन्होने अपनी कविताओं को गद्य कविता की संज्ञा दी थी। कुछ कविताओं के शीर्षक ये थे- अढ़ाई,कढ़ाई,पढ़ाई,चढ़ाई । इनके अतिरिक्त अन्य कविताओं ने भी लोगों का ध्यान आकर्षित किया। 
कविता पाठ के बाद  किरण सिंह जी  ने सर्व प्रथम विचार व्यक्त करते हुये विभिन्न कविताओं की व्याख्या करते हुये कवि के मर्म की सराहना की। सुभाष जी व दो अन्य विद्वानों ने कवि द्वारा जन को आकर्षित न कर पाने की ओर ध्यानाकर्षण किया जबकि बंधु कुशवर जी व प्रताप जी द्वारा इन कविताओं को उपयुक्त बताते हुये और व्यापक करने की मांग की गई। उषा राय जी व अनीता श्रीवास्तव जी द्वारा कवि की भावनाओं की प्रशंसा की गई तथा अनीता जी द्वारा अपनी पत्रिका 'रेवान्त ' हेतु कुछ कविताओं की मांग भी की गई। नसीम साकेती साहब तथा भग्वान स्वरूप कटियार जी  एवं राकेश जी द्वारा भी कविताओं की गूढ़ता की ओर इंगित किया गया। जनसंदेश टाईम्स के प्रधान संपादक सुभाष राय जी ने स्पष्ट कहा कि, लालटू जी की कविताओं के अर्थ समझने के लिए धैर्य व विश्लेषण क्षमता का विकसित होना ज़रूरी है तभी उनका संदर्भ पता चलेगा। 
कौशल किशोर जी द्वारा अपनी राय मांगे जाने पर विजय माथुर ने साफ साफ कहा कि उनकी दिलचस्पी भी कविता में नहीं है और कविता समझने का ज्ञान भी उनके पास नहीं है। लेकिन 51 वर्ष पूर्व पढ़ाई के दौरान जयशंकर प्रसाद जी द्वारा 'कामायनी' के एक पद्य के संबंध विभिन्न कवियों के मतांतर के संबंध मे कही गई जो बात जानी थी वह आज लालटू जी की कविताओं के संबंध में विभिन्न विचार सुन कर स्पष्ट हो गई। इस प्रकार आज लालटू जी की कविताओं के पाठ में शामिल होना काफी सार्थक रहा। 
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Saturday, 14 May 2016

शराब बंदी अभियान उत्तर प्रदेश द्वारा बिहार के मद्य निषेद्ध कारवां -2016 का स्वागत

लखनऊ,14 मई 2016 :
आज साँय 5 बजे शहीद स्मारक पर बिहार से आया मद्य निषेद्ध कारवां -2016 पहुंचा जिसका स्वागत शराब बंदी अभियान उत्तर प्रदेश के राम किशोर,भगवान स्वरूप कटियार,विजय राजबली माथुर एवं  किसान मंच के संजय दीक्षित तथा भारत ज्ञान-विज्ञान समिति की डॉ बीना गुप्ता द्वारा किया गया। 
यह कारवां बिहार में पूर्ण शराब बंदी कराने में पूर्ण सफल रहा है। इसके द्वारा बिहार राज्य में जनवरी,फरवरी व मार्च में सभी 534 विकास खंडों एवं 8439 पंचायतों में मद्य निषेद्ध पर आधारित गीतों एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी। इस क्रम में कारवां ने बिहार में अपने तीन माह के भ्रमण के दौरान 9 लाख 11 हज़ार 6 सौ 65 मद्य निषेद्ध पर आधारित नारे लिखे  जो सब सार्वजनिक स्थलों पर लिखे गए। इस अभियान के अंतर्गत बिहार राज्य के सभी पूर्व माध्यमिक एवं उत्तर माध्यमिक विद्यालयों में नामांकित बच्चों के एक करोड़ 19 लाख 270 अभिभावकों से मद्य निषेद्ध अभियान के संकल्प पत्र भी भरवाये। 

प्रारम्भ में मद्य निषेद्ध कारवां -2016 के संयोजक श्री गालिब ने जत्थे के उद्देश्यों से लखनऊ वासियों को परिचित कराया तथा उत्तर प्रदेश शराब बंदी अभियान के राम किशोर जी तथा भगवान स्वरूप कटियार ने शहीदों की कुर्बानियों तथा आज़ादी के संघर्षों में उनके योगदान का ज़िक्र  करते हुये शराब बंदी अभियान उत्तर प्रदेश को सहयोग देने के लिए कारवां-2016 को धन्यवाद दिया। 

कारवां द्वारा जो बैनर प्रदर्शित किए गए उनके प्रमुख नारे थे :
*शराब पीकर वाहन चलाओगे तो वापिस नहीं आओगे। 
*मैं पूरी ज़िंदगी जीऊँगा अब शराब न पीऊँगा। 
जत्थे द्वारा एक प्रभावोत्पादक गीत की प्रस्तुति की गई जिसे उपस्थित जनता की भरी पूरी सराहना मिली।

जत्था शहीद स्मारक से बस द्वारा रवीन्द्र नाथ  टैगोर प्रतिमा (उ प्र हिन्दी संस्थान के निकट ) पहुंचा जहां से पैदल मार्च करते हुये तथा गीत गाते हुये गांधी प्रतिमा, जी पी ओ , हज़रत गंज पहुंचा। जत्थे में सबसे आगे शराब बंदी अभियान, उत्तर प्रदेश का बैनर था जिसे राम किशोर जी , बीना गुप्ता जी व विजय माथुर के साथ-साथ जत्थे में दानापुर से आए हुये उदय कुमार  जी ने पकड़ा हुआ था। उदय कुमार जी ने प्रभावशाली नारे लगवाए तथा जत्थे के गीत कार्यक्रम का भी नेतृत्व किया। 

गांधी प्रतिमा पर जत्था एक धरने में परिवर्तित हो गया। बिहार की ही भांति उत्तर प्रदेश में भी पूर्ण शराब बंदी की जोरदार मांग की गई। इसके बाद पूरे देश में शराब बंदी अभियान चलाने का संकल्प लिया गया। धरना के दौरान जत्थे की टोली द्वारा मद्य निषेद्ध संबंधी गीतों की प्रस्तुति दी गई जो सराहनीय रही।  
15 मई 2016 को रविन्द्रालय, चारबाग में आयोजित किसान मंच सम्मेलन में प्रातः 11 बजे से कारवां -2016 द्वारा नुक्कड़ नाटक,सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ दी जाएंगी। 

इस अभियान को स्थानीय जनता ने भी सराहा व सहयोग का आश्वासन दिया । एक श्रोता श्री संजय शुक्ल तो इतने प्रभावित हुये कि उन्होने अपनी ओर से पानी की बोतलें लाकर बिहार से आए जत्थे को अर्पित कीं। राम किशोर जी ने उत्तर प्रदेश अभियान की ओर से हार्दिक धन्यवाद दिया गया । 

Sunday, 8 May 2016

किसान और देश को बचाने के लिए है किसान जागरण यात्रा ------ इम्तियाज़ बेग / राजेन्द्र यादव

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भाइयों,बहनों 

आइये इस किसान जागरण यात्रा में आप अपना सक्रिय सहयोग और समर्थन दें। आज़ादी के बाद कुटिल राजनीतिक चालाकियों के कारण हाशिये पर डाल दिये गाँव और किसान को संगठित कर इस देश की मुख्य राजीनीतिक और आर्थिक धारा में शामिल करने के इस महाभियान में आप सक्रिय हिस्सेदारी निभाएँ जो आज़ादी के सिपाहियों और शहीदों का एक मात्र सपना रहा है। 
भारतीय किसान एक निर्मम षणयंत्र के तहत लूटे जा रहे हैं। किसान विरोधी देशी-परदेसी सरकारी नीतियाँ तो उसे लूट ही रही हैं,साथ में असमय वर्षा,बाढ़,सूखा,ओलावृष्टि और कीट हमले से प्रकृति भी लूट रही है। मौसम विज्ञान इसे जलवायु परिवर्तन का परिणाम बता रहे हैं, किन्तु सबसे बड़ा सवाल है कि किसान कहाँ जाये?आज इस देश में सबकी आवाज़ सुनी जाती है,किसान संगठित नहीं है,इसलिए सरकारी नीतियाँ उसे पीट-पीट कर अधमरा करती जा रही हैं। अधमरे लोगों में कमजोर दिल वाले आत्महत्या कर रहे हैं। स्वयं सरकारी आंकड़ों (क्राइम रिकार्ड ब्यूरो) के अनुसार पिछले 15 वर्षों से आठ लाख से अधिक किसानों ने आत्महत्या कर ली है। महाराष्ट्र के विदर्भ और मराठवाड़ा मं  दसों किसान बेचारगी में आत्महत्या कर रहे हैं,और उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में भी रोजाना चार-पाँच किसान आत्महत्या कर रहे हैं। शराब कारोबारी विजय माल्या जहाँ एक ओर सरकारी बैंकों का हजारों-हजार करोड़ रूपये दिनदहाड़े लूट कर चला गया,वहीं कृषि आय के बहाने बेईमान पूंजीपति और कारोबारी बीस हजार लाख करोड़ रूपये का कालाधन इसी देश में दबा कर रखे हुए हैं और किसान नकली बीज-खाद और कीटनाशक ऊंचे दामों पर इस बेईमान सरकारी तंत्र के चलते खरीदने के लिए विवश है। सरकारी तंत्र (जिलाधिकारी,एस.पी.) न तो टैक्स चोरों-मिलावटखोरों को पकड़ पा रहा है और न तो डकैती और सांप्रदायिकता भड़काने वाले राजनीतिक गुंडों पर कोई लगाम लगा पा रहा है। विजया माल्या जैसे टैक्स चोर,काले कारोबारी जेल के बजाय राज्य सभा में सांसद चुन कर भेजे जा रहे हैं, वहीं प्राकृतिक  आपदा और बढ़ते खेती की लागत के कारण समय पर मामूली ऋण जमा न कर पाने वाले किसान को बेरहमी से उसके खेत और घर से घसीट कर हवालात में बंद कर दिया जाता है तथा हवालात का भी खर्च उसी से जबरदस्ती वसूला जा रहा है। 
स्थिति खतरनाक मोड़ ले चुकी है। किसान अपने दलहन-तिलहन,गेहूं-धान गन्ना का दाम नहीं तय कर सकता है। अब स्टाक मार्केट के अरबपति-खरबपति दलाल और बाजार के मुनाफाखोर खिलाड़ी इसका दाम तय कर रहे हैं। यही पूंजी का कमाल खेती-किसानी का दुर्दिन है। कारण साफ है किसान संगठित नहीं है। वेतन आयोग ने हाल ही में सरकारी कर्मचारी का न्यूनतम मासिक वेतन रु. 18,0000.00 मासिक तथा अधिकतम रु.2.50 लाख मासिक तय कर दिया है किन्तु साथ सत्तर सालों तक खेतों में पसीना बहाने वाले किसानों,खेत मजदूरों का कोई पुरसा हाल नहीं है न तो उनके न्यूनतम आय की कोई गारंटी है। इसीलिए गांवों से प्रतिवर्ष 9% की दर से सालान पलायन हो रहा है और खेती का रकबा भूमि अधिग्रहण कानून और अंधे विकासवाद की नीतियों के चलते लगातार घटता जा रहा है। 
कृषि लागत दर और महंगाई लगातार बढ़ती जा रही है,इसे हर हाल में रोकना होगा और इसे रोकने के लिए संगठित और धारदार किसान आंदोलन की जरूरत आज सबसे ज्यादा है। खेती को बचना है तो गाँव को भी बचना होगा,गाँव बचेगा तभी खेती और किसानी बचेगी। खेती और गाँव बचाकर ही हम किसान और देश को बचा सकते हैं यही सच्ची देश भक्ति और राष्ट्रवाद है। 
इन्हीं सच्चाइयों को ध्यान में रख कर उत्तर-प्रदेश किसान सभा ने पूरे प्रदेश में 11 अप्रैल 2016 से किसान जागरण यात्रा प्रारम्भ की है। देश के किसानों के सर्वमान्य नेता,स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी स्वामी सहजानन्द के जन्म स्थल गाजीपुर से यह अभियान शुरू किया गया है जो 20 मई को लखनऊ में विशाल किसान महापंचायत में तब्दील हो जायेगा और इस महापंचायत में उत्तर प्रदेश के सभी प्रभावी किसान संगठनों के नेतृत्व के अतिरिक्त अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव और साथी अतुल कुमार अनजान की उल्लेखनीय उपस्थिति रहेगी।

 यह अभियान नई सोच और किसानोन्मुखी राजनीति पैदा करने का है। किसानों,मजदूरों,दस्तकारों को संगठित कर देश एवं प्रदेश की राजनीति को किसानोन्मुखी बनाने की दिशा में यह सशक्त हस्तक्षेप है ताकि देश की दौलत का मुंसिफ़ाना तस्कीम हो सके और देश बहुराष्ट्रीय कंपनियों,शेयर बाजार के सट्टेबाज खिलाड़ियों,भ्रष्ट राजनेताओं,कुटिल अफसरशाहों-ठेकेदारों के चंगुल से मुक्त हो सके। 



प्रमुख मांगें

1. राष्ट्रीय किसान आयोग (स्वामीनाथन आयोग) की संस्तुतियों को केंद्र और राज्य सरकारें तत्काल लागू करें। 
2. 60 वर्ष के सभी स्त्री-पुरुष किसानों,खेत मजदूरों,ग्रामीण दस्तकारों को 10,000 रु. ( दस हजार रुपया) मासिक पेंशन केंद्र व राज्य सरकारें मिलकर देना सुनिश्चित करें। 
3. किसानों के सहकारी-सरकारी कर्ज़ माफ किये जायें एवं उन्हें रबी-खरीफ पर ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध कराया जाये। 
4. कृषि उत्पादों का लाभकारी मूल्य (लागत पर पचास फीसदी जोड़ कर) दिया जाय। 
5. भूमि अधिग्रहण अध्यादेश को तत्काल वापस लिया जाय। 
6. केरल राजयकी भांति किसान कर्ज़ एवं आपदा राहत ट्रिब्यूनल की स्थापना की जाय। 
7. खेती किसानी के लिए बिजली की बढ़ी दरों को वापस लिया जाय, साथ ही सस्ती एवं अबाध बिजली 18 घंटे उपलब्ध कराई जाय। 
8. नहरों की टेल तक वास्तविक सफाई कराकर पानी खेतों में पहुँचने का पुख्ता प्रबंध किया जाय। 
9. प्रदेश के किसानो के निजी नलकूपों को अन्य राज्यों की तरह मुफ्त बिजली की व्यवस्था की जाय। 
10. नंदगंज,रसड़ा,छाता,देवरिया,औरैया,शाहगंज चीनी मिलों को चालू किया जाय। 
11. शिक्षा व चिकित्सा व्यवस्था को सरकार अपने हाथ में ले। 
12. गन्ने का सामान्य मूल्य 450 रु. किया जाय एवं गन्ने का बकाया भुगतान किया जाय। 
13. प्रदेश में रबी व खरीफ की फसल बर्बाद होने के बाद केंद्र व प्रदेश की सरकारें क्षतिपूर्ति देने का वादा करें या अब तक लगभग 33%किसान लाभान्वित हुए हैं शेष किसानों को तत्काल क्षतिपूर्ति दी जाय। 

Tuesday, 3 May 2016

चरण स्पर्श : पैर छूना --- राजनीति और विज्ञान ------ विजय राजबली माथुर

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राजनीति  : 

जब लालू प्रसाद बिहार के मुख्यमंत्री थे तब उन्होने पैर छूने  - चरण स्पर्श  की परंपरा का विरोध किया था  लेकिन अब जे एन यू  छात्र संघ  के अध्यक्ष  कन्हैया कुमार द्वारा उनके पैर छू  कर आशीर्वाद  लेने पर कन्हैया की आर एस एस व  कारपोरेट समर्थक  वामपंथियों  द्वारा कड़ी आलोचना की जा रही है। विभिन्न विद्वानों के मत  संकलित कर प्रस्तुत किए गए हैं। व्यक्तिगत रूप से  राजनीति में पैर छूने या चरण स्पर्श की प्रक्रिया का मैं  समर्थन नहीं करता लेकिन मैंने यह भी देखा है कि, भाकपा, यू पी  के प्रदेश कार्यालय में बैठ कर  पार्टी के सीताराम केसरी बने  कोषाध्यक्ष  ब्राह्मण कामरेड  AISF व AIYF के नेता रहे  ब्राह्मण व  यादव युवाओं से  अपनी कुर्सी पर बैठे-बैठे  पैर छुवाते - चरण स्पर्श  करवाते हैं। तब कामरेडशिप  आड़े नहीं आती है क्योंकि वह ब्राह्मण कामरेड हैं । लालू जी के चरण स्पर्श पर समस्या इसलिए है कि वह ब्राह्मण नहीं हैं। यह भेदभाव ही तो 
' ब्राह्मण वाद ' है। 

विज्ञान  : 

हाथ और पैरों में अंगूठा समेत दस- दस उँगलियाँ होती हैं  । इनमें   पैर की उँगलियों के नाखूनों द्वारा  'ऊर्जा'  बाहर  निकलती है जबकि  हाथ की उँगलियों के नाखूनों द्वारा  'ऊर्जा' ग्रहण  की जाती है। पैर छूने  अथवा चरण स्पर्श  का विज्ञान यह है कि यदि किसी विद्वान के चरण हाथ द्वारा स्पर्श किए जाएँ तो ज्ञान का अंश हाथों द्वारा  प्राप्त किया जाता है। इसी लिए सबके चरण स्पर्श का विधान भी नहीं था। आजकल उस लायक कोई विद्वान भी नहीं है। 

चरण स्पर्श की भी वैज्ञानिक विधि यह है  कि, चरण स्पर्श करने वाला ज्ञान पिपासू अपने दाहिने हाथ के नाखून विद्वान के दाहिने पैर के नाखूनों पर इस प्रकार रखे कि अंगूठा  अंगूठे पर तर्जनी तर्जनी पर , मध्यमा  मध्यमा पर , अनामिका अनामिका पर और कनिष्ठा कनिष्ठा पर रहे। इसी प्रकार बायाँ हाथ  बाएँ  पैर पर रहे। अर्थात हथेली को उलट कर  X  चरण स्पर्श करना होता है। तभी  विद्वान के पैरों के पर्वतों से निकालने वाली ज्ञान रश्मियेँ   इच्छुक जिज्ञासु  के हाथों द्वारा उसके शरीर में प्रविष्ट होती है। 

आज व्यवहार में पैर छूने  चरण स्पर्श  की जो प्रक्रिया है वह मात्र दिखावा भर है कि किसी बड़े को सम्मान दिया गया है। बड़े को सम्मान देना कोई गुनाह नहीं है अतः कन्हैया की आलोचना सिर्फ उनकी लोकप्रियता की प्रतिक्रिया में उत्पन्न  खिसियाहट भर है। 
संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त यश

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