टी वी पर,जगह-जगह प्रवचनों मे, अखबारो मे आपको दान देने का महत्व प्रचारित करके नुकसान पहुंचाने का उपक्रम किया जाता है और आप धर्म के नाम पर ठगे जाकर गर्व की अनुभूति करते हैं। यह आप पर है कि ढ़ोंगी-लुटेरे महात्माओ के फेर मे दान देकर नुकसान उठाएँ या फिर इस प्रस्तुतीकरण का लाभ उठाते हुये दान न दें। बेहतर यही है कि दान देकर पाखंडियों की लूट और शोषण को मजबूत न करें।
* आगरा में पोस्टेड UPSIDC के एक एक्ज़ीक्यूटिव इंजीनियर साहब ने वृन्दावन में दो भूखे लोगों को भोजन कराया और रात्रि समय लौटते में आगरा की सीमा में प्रवेश होते ही हथियारों की नोक पर उनकी सोने की चेन वाली घड़ी, उनकी पत्नी के कंगन, गले का हार और दोनों की नकदी लूट ली गई।
** झांसी की एक शिक्षिका नें अपनी कालोनी के एक मंदिर को रु 1100/- दान दिये और शिला पट्टिका पर उनका नाम भी दर्ज हुआ लेकिन उनकी खुद की ड्राइविंग पर उनकी कार से टकरा कर एक मोटर साईकिल सवार जैन दंपति की मौत हो गई जिसके मुकदमे का उनको नौ वर्ष सामना करना पड़ा। *** एक EO साहब ने गया जाकर दान - पुण्य किया परिणाम स्वरूप उनको गंभीर बीमारी व आपरेशन का सामना करना पड़ा।
अतः दान देने के महत्व को समझने के साथ - साथ दान देने के नुकसान को भी समझ लें और फिर करें या न करें का निर्णय लें।
टी वी पर,जगह-जगह प्रवचनों मे, अखबारो मे आपको दान देने का महत्व प्रचारित करके नुकसान पहुंचाने का उपक्रम किया जाता है और आप धर्म के नाम पर ठगे जाकर गर्व की अनुभूति करते हैं। यह आप पर है कि ढ़ोंगी-लुटेरे महात्माओ के फेर मे दान देकर नुकसान उठाएँ या फिर इस प्रस्तुतीकरण का लाभ उठाते हुये दान न दें। बेहतर यही है कि दान देकर पाखंडियों की लूट और शोषण को मजबूत न करें।
निकटतम और घनिष्ठतम लोगों के उदाहरण उनकी जन्म-पत्रियों की ओवरहालिंग करने के बाद ही दिये हैं, ब्रहस्पति स्व-राशि का हो या उच्च का उससे संबन्धित वस्तुओं का दान नहीं करना चाहिए । अब प्रश्न है कि आप कैसे जानेंगे कि आप का कौन सा ग्रह उच्च का या स्व-ग्रही है और उसके लिए क्या-क्या दान नहीं करना चाहिए?इसके लिए निम्न-लिखित तालिका का अवलोकन करें-
क्रम संख्या ग्रह उच्च राशि स्व-राशि
1- सूर्य मेष (1 ) सिंह (5 )
2- चंद्र वृष (2 ) कर्क (4 )
3- मंगल मकर (10 ) मेष (1 ) और वृश्चिक (8 )
4- बुध कन्या (6 ) मिथुन (3 ) और कन्या (6 )
5- ब्रहस्पति कर्क (4 ) धनु (9 ) और मीन (12 )
6- शुक्र मीन (12 ) वृष (2 ) और तुला (7 )
7- शनि तुला (7 ) मकर (10 ) और कुम्भ (11 )
8- राहू मिथुन (3 ) 'राहू' और 'केतू' वस्तुतः हमारी पृथिवी के उत्तरी और
9- केतू धनु (9 ) दक्षिणी ध्रुव हैं जिन्हें छाया ग्रह के रूप मे गणना मे लिया जाता है।
ऊपर क्रम संख्या मे ग्रहों के नाम दिये हैं जबकि राशियों की क्रम संख्या कोष्ठक मे दी गई है। जन्मपत्री मे बारह घर होते हैं और उनमे ये बारह राशिया उस व्यक्ति के जन्म के अनुसार राशियो की क्रम संख्या मे अंकित रहती हैं। उस समय के अनुसार जो ग्रह जिस राशि मे होता है वैसा ही जन्मपत्री मे लिखा जाता है। यदि सूर्य संख्या (1 ) मे है तो समझें कि उच्च का है। ब्रहस्पति यदि संख्या (4 ) मे है तो उच्च का है। इसी प्रकार ग्रह की स्व-राशि भी समझ जाएँगे। अब देखना यह है कि जितने ग्रह उच्च के अथवा स्व-राशि के हैं उनसे संबन्धित पदार्थों का न तो दान करना है और न ही निषेद्ध्य किया गया कार्य करना है वरना कोई न कोई हादसा या नुकसान उठाना ही पड़ेगा। नीचे नवों ग्रहों से संबन्धित निषिद्ध वस्तुओं का अवलोकन करके सुनिश्चित कर लें-
1-सूर्य :
सोना,माणिक्य,गेंहू,किसी भी प्रकार के अन्न से बने पदार्थ,गुड,केसर,तांबा और उससे बने पदार्थ,भूमि-भवन,लाल और गुलाबी वस्त्र,लाल और गुलाबी फूल,लाल कमल का फूल,बच्चे वाली गाय आदि।
2-चंद्र :
चांदी,मोती,चावल,दही,दूध,घी,शंख,मिश्री,चीनी,कपूर,बांस की बनी चीजें जैसे टोकरी-टोकरा,सफ़ेद स्फटिक,सफ़ेद चन्दन,सफ़ेद वस्त्र,सफ़ेद फूल,मछली आदि।
3-मंगल :
किसी भी प्रकार की मिठाई,मूंगा,गुड,तांबा और उससे बने पदार्थ,केसर,लाल चन्दन,लाल फूल,लाल वस्त्र,गेंहू,मसूर,भूमि,लाल बैल आदि।
4-बुध :
छाता,कलम,मशरूम,घड़ा,हरा मूंग,हरे वस्त्र,हरे फूल,सोना,पन्ना,केसर,कस्तूरी,हरे रंग के फल,पाँच-रत्न,कपूर,हाथी-दाँत,शंख,घी,मिश्री,धार्मिक पुस्तकें,कांसा और उससे बने बर्तन आदि।
5-ब्रहस्पति :
सोना,पुखराज,शहद,चीनी,घी,हल्दी,चने की दाल,धार्मिक पुस्तकें,केसर,नमक,पीला चावल,पीतल और इससे बने बर्तन,पीले वस्त्र,पीले फूल,मोहर-पीतल की,भूमि,छाता आदि। कूवारी कन्याओं को भोजन न कराएं और वृद्ध-जन की सेवा न करें (जिनसे कोई रक्त संबंध न हो उनकी )।किसी भी मंदिर मे और मंदिर के पुजारी को दान नहीं देना चाहिए।
6-शुक्र :
हीरा,सोना, सफ़ेद छींट दार चित्र और वस्त्र,सफ़ेद वस्त्र,सफ़ेद फूल,सफ़ेद स्फटिक,चांदी,चावल,घी,चीनी,मिश्री,दही,सजावट-शृंगार की वस्तुएं,सफ़ेद घोडा,गोशाला को दान,आदि। तुलसी की पूजा न करें,युवा स्त्री का सम्मान न करें ।
7-शनि :
सोना,नीलम,उड़द,तिल,सभी प्रकार के तेल विशेष रूप से सरसों का तेल,भैंस,लोहा और स्टील तथा इनसे बने पदार्थ,चमड़ा और इनसे बने पदार्थ जैसे पर्स,चप्पल-जूते,बेल्ट,काली गाय,कुलथी, कंबल,अंडा,मांस,शराब आदि।
8-राहू :
सोना,गोमेद,गेंहू,उड़द,कंबल,तिल,तेल सभी प्रकार के,लोहा और स्टील तथा इनके पदार्थ,काला घोडा, काला वस्त्र,काला फूल,तलवार,बंदूक,सप्तनजा,सप्त रत्न,अभ्रक आदि।
9-केतू :
वैदूर्य (लहसुन्यिया),सीसा-रांगा,तिल,सभी प्रकार के तेल,काला वस्त्र, काला फूल,कंबल,कस्तूरी,किसी भी प्रकार के शस्त्र,उड़द,बकरा (GOAT),काली मिर्च,छाता,लोहा-स्टील और इनके बने पदार्थ,सप्तनजा आदि।
पति या पत्नी किसी एक के भी ग्रह उच्च या स्व ग्रही होने पर दोनों मे से किसी को भी उससे संबन्धित दान नहीं करना है और उन दोनों की आय से किसी तीसरे को भी दान नहीं करना है।
* आगरा में पोस्टेड UPSIDC के एक एक्ज़ीक्यूटिव इंजीनियर साहब ने वृन्दावन में दो भूखे लोगों को भोजन कराया और रात्रि समय लौटते में आगरा की सीमा में प्रवेश होते ही हथियारों की नोक पर उनकी सोने की चेन वाली घड़ी, उनकी पत्नी के कंगन, गले का हार और दोनों की नकदी लूट ली गई।
** झांसी की एक शिक्षिका नें अपनी कालोनी के एक मंदिर को रु 1100/- दान दिये और शिला पट्टिका पर उनका नाम भी दर्ज हुआ लेकिन उनकी खुद की ड्राइविंग पर उनकी कार से टकरा कर एक मोटर साईकिल सवार जैन दंपति की मौत हो गई जिसके मुकदमे का उनको नौ वर्ष सामना करना पड़ा।
*** एक EO साहब ने गया जाकर दान - पुण्य किया परिणाम स्वरूप उनको गंभीर बीमारी व आपरेशन का सामना करना पड़ा।
अतः दान देने के महत्व को समझने के साथ - साथ दान देने के नुकसान को भी समझ लें और फिर करें या न करें का निर्णय लें।
यद्यपि ढ़ोंगी-पाखंडी-आडंबरधारी तो इस विश्लेषण का विरोध करेंगे ही किन्तु 'एथीस्टवादी' भी इसका विरोध करेंगे और अंततः अधर्मी- ढ़ोंगी-पाखंडी-आडंबरधारी तबके का ही समर्थन करेंगे। इसी कारण देश की जनता उल्टे उस्तरे से मूढ़ी जाती रहती है।